शनिवार, 4 जून 2011

कार्टून:- टंकी पे चढ़ने वालों की फ़ेहरिस्त में सबसे नया नाम...


24 टिप्‍पणियां:

  1. काजल जी टंकी तो वहां पर नहीं है, हाँ सामने ही टंकी का परदादा या कहो लकडदादा सिविक सेन्टर जरुर है,

    नहीं माने यू तो हठ वाला बाबा है,

    जवाब देंहटाएं
  2. इसी को कहते हैं हठासन, वैसे बाबा पलटासन में भी माहिर हैं ...हा हा हा हा

    जवाब देंहटाएं
  3. कपालभाति के बाद कंपकंपासन की खुराक!

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छा पोस्ट है जी आपका!मेरे ब्लॉग पर आए ! :)))

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut hi samayik jog vyangy ...ab to baba chadh gaye hain ha ha ha

    जवाब देंहटाएं
  6. पी एम साहब की उपलब्धियाँ ही हैं कि दे अनशन पे अनशन हो रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. इस बज़र -बट्टू की तो कंपकपी छूटेगी ही उस तपस- व्रता की भी कुछ बता भैये !

    जवाब देंहटाएं
  8. किसी को तो बोलने दो भाई ।
    अभी टी वी पर देखा --सुनने में तो बड़ा मज़ा आ रहा था ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत असर है इस आसन में :) :)

    जवाब देंहटाएं
  10. एक दम ओरिजिनल थौट है!!!
    लाजवाब!

    जवाब देंहटाएं
  11. बाबा दमदार हैं. मानना पड़ेगा.

    जवाब देंहटाएं
  12. काजल भाई ,
    (१)
    बाबा ,पानी की टंकी और खुद की कनपटी पर पिस्तौल ! अब इसका क्या मतलब निकालूं मैं :)

    पिस्तौल के प्रतीक से पता नहीं क्यों फिल्म संघर्ष याद आ रही है !

    (२)
    कांपने वाले बंदे के लिए गुलाम अली द्वारा गाई गयी चंद लाइनों की पैरोडी ...
    कल शब मुझे बेशक्ल सी आवाज़ नें चौंका दिया उसने कहा तू कौन है मैंने कहा आवारगी !

    अब आप 'आवारगी' को बेचारगी ,लाचारगी , वगैरह वगैरह से रिप्लेस करके देखियेगा :)

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin