शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

कार्टून:- वाह री बरखा तेरे खेल निराले


14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब. देश की कहने भर की सड़के गर्मी में पिघल जाती है, सर्दी में जम जाती है और बारिश में नदी बन जाती है ताकि लोगो को एक ही जगह हर तरह का अनुभव हो सके :-)

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  2. ये बरखा भी आये तो मुसीबत और न आये तो मुसीबत।

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  3. पोर्टेबल नावें अच्छा व्यवसाय है।

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  4. यहां छाता-सह-नाव या फिर नाव-सह-छाता जैसे उद्योग की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है :)

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  5. बरखा से कहीं अधिक तो मयून्सीपैल्टी के खेल निराले हैं :)

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  6. हाल ही की एक घंटे की दिल्ली की बारिश के बाद हुए हाल के बाद अब ऐसे मशवरे मान लेने चाहिए.

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  7. बाल सारे उड़ गये लेकिन अक्ल नहीं आई..छाता ले कर भला कोई निकलता है मानसून में.. :)

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